रहवासियों ने बताया- 5 साल से देख रहे हैं, गोसर रोज आते और समय पर काम करते, ये गली उन्हें हमेशा याद रखेगी https://ift.tt/2SPleCo

वेतन कटने से तंग आकर आत्महत्या करने वाले नगर निगम के सफाईकर्मी राजेश गोसर ईमानदारी से अपना काम कर रहे थे। वार्ड 18 के रहवासियों का कहना है 5 साल से वे रोजाना समय पर काम पर आते थे। विनोद मिल की चाल में पेड़ों के सूखे पत्ते, घरों से निकला कचरा दो दिन से उठाया नहीं गया है।
किराना दुकान संचालक एनएल नागर ने बताया गोसर सड़क को अपने घर की तरह समझते थे। रहवासी मेहबूब खान ने बताया वे कभी भी ऐसे नहीं लगा कि इस वार्ड के नहीं हैं। सुबह 6 बजे से और कभी कभी तो उसके भी पहले वे वार्ड में आ जाते। उनके जाने से गली में दो दिन से झाड़ू तक नहीं लगी है।
भास्कर रविवार को यहां पहुंचा तो लोग बोले-यह गली उन्हें हमेशा याद रखेगी। भास्कर की पड़ताल में यह सामने आया कि हर महीने गौसर का वेतन काटा जा रहा था। ईमानदारी से नौकरी करने वाले कर्मचारी की गैरहाजिरी लगाने का खेल किसके इशारे पर और क्यों चल रहा था, यह बड़ा सवाल है।
हर वार्ड में एक ही दर्द...
3 माह से वेतन नहीं, झाडू भी खरीदी
सुबह 8.50 बजे। मुंगी चौराहा से कोठी रोड की सफाई में जुटी उषा टांक। वे सुबह 6 से दोपहर 2 बजे तक काम करती हैं। वे ऑरियंटल कंपनी के मार्फत काम कर रही हैं। उनका कहना है बतौर वेतन 4500 रुपए मिलते हैं, वे भी तीन महीने से नहीं मिले। ठेकेदार से चर्चा करते हैं तो कहते हैं अभी निगम के पास राशि नहीं है। जब आएगी तो मिल जाएगी। उन्हें मास्क, दस्ताने भी नहीं मिले। झाड़ू भी खुद खरीदना पड़ रही है। यहां 35 सफाईकर्मी हैं। 15 अलग-अलग जगह काम करते रहे।
बगैर मास्क काम करता आसिफ
सुबह 7.45 बजे। क्षीरसागर बगीचा। यहां 25 साल का आसिफ खान बगैर मास्क के सफाई में जुटा है। पूछने पर बोला निगम ने मास्क दिए थे, वे मैले हो गए। हमने घर पर बनवाए लेकिन उसमें दम घुटता है। उसके हाथों में दस्ताने नहीं थे। इस पर कहा-दस्ताने मिले ही नहीं, कैसे पहनूं। रोज सुबह 6.15 बजे आ जाता हूं। यहां का दरोगा अब्दुल हमीद है। मेट-सलमान खान। दोनों हाजिरी लेकर चले गए। यहां कुल 34 सफाईकर्मी हैं लेकिन रविवार को छुट्टी की वजह से स्थायी नहीं आए।
जागिरी से चल रहा है काम
सुबह 9.15 बजे। सेठी नगर में टूटी-फूटी गाड़ी में घर-घर से कचरा एकत्र कर रहे हैं बद्रीलाल कलोशिया। वे कहते हैं जो कचरा घरों से निकलता है, उसी से गुजारा करना पड़ता है। अफसरों के साथ पार्षद से भी गुहार लगाई लेकिन बात नहीं बनी। जागिरी है तो हमें यह काम करना ही है। सड़क बुहारने के साथ घर-घर से कुछ ऐसा कचरा मिल जाता है, जिसे बेचकर काम चला लेते हैं। रोज सुबह 6 से दोपहर 1 बजे तक वार्ड में रहते हैं। यहां 30 सफाईकर्मी हैं।
नगर निगम में गैरहाजिरी का खेल? गोसर का वेतन लगातार कट रहा था, अकाउंट डिटेल और वार्ड के लोगों के बयान से सामने लाए पूरा सच
अब बात राजेश गोसर को मिल रहे वेतन की
मृतक राजेश गोसर के परिजन बताते हैं कि उन्हें निगम से कुल कितना वेतन मिलता था, इसकी जानकारी तो नहीं है लेकिन उनका एक ही बैंक में खाता था- आनंदेश्वरी नागरिक सहकारी बैंक।
बैंक की पासबुक के आधार पर भाई अजय गोसर ने बताया 24 अक्टूबर 2019 को उन्हें 7267 रुपए, 11 दिसंबर 2019 को 2902 रुपए, 2 जनवरी 2020 को 3641 रुपए और 10 मार्च 2020 को उन्हें 5541 रुपए वेतन मिला था। इसके बाद की इंट्री नहीं करवाई है। अजय बताते हैं कि उन्होंने वेतन के संबंध में कोई बात पत्नी, बच्चों को नहीं बताई लेकिन वे अक्सर परेशान रहते थे।
इधर पुलिस ने जांच शुरू की, दुष्प्रेरण का केस दर्ज होगा
राजेश गोसर द्वारा कुएं में कूदकर आत्महत्या किए जाने के मामले में पुलिस ने जांच शुरू कर दी। सुसाइड नोट के आधार पर दरोगा व जमादार से पूछताछ के बाद आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण का केस दर्ज किया जाएगा।
राजेश ने दो पेज के सुसाइड नोट में इस बात का उल्लेख किया है कि उसे दरोगा व जमादार परेशान करते थे। एएसपी अमरेंद्रसिंह चौहान ने बताया कि जांच कराई जा रही है और परिजनों के बयान के आधार पर जांच होगी। दरोगा व जमादार पर के खिलाफ दुष्प्रेरित का मामला दर्ज किया जाएगा।
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