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नक्सली दहशत के कारण मुलेर में सड़क पुलिया और पीएम आवास नहीं बन पा रहे https://ift.tt/2FqeQOS

कुआकोंडा ब्लाॅक के अंतिम गांव मुलेर में नक्सली दहशत की वजह से बिजली, सड़क, स्कूल, आंगनबाड़ी, पुलिया तो दूर गरीबों के आवास भी नहीं बन पा रहे हैं। मुलेर कुआकोंडा ब्लाक के नहाड़ी ग्राम पंचायत का आश्रित गांव है। यहां 100 से अधिक परिवार रहते हैं। मुलेर सुकमा जिले के सरहद में है। यहां तक पहुंचने सड़क नहीं है।
स्कूल के नाम पर एक शेड बना हुआ है। गरीबो के लिए स्लैब वाले स्वीकृत 77 प्रधानमंत्री आवास भी नही बन पा रहे हैं। ग्रामीणों की मानें तो नक्सली सड़क, पुलिया के लिए तो मना कर ही रहे हैं, बिजली, पक्के आवास बनने भी नही दे रहें हैं।
ग्रामीणों ने बताया 2017-18 में मुलेर के गरीब परिवारों के लिए आवास स्वीकृत हुए थे, जो नहीं बन पा रहे हैं। सरकार की तरफ से पक्के मकान की स्वीकृति तो मिल गई है, लेकिन जनताना सरकार इन आवासों में रोड़ा बनी हुई है। ग्रामीणों ने बताया राशन के लिए अरनपुर तक पैदल 40 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। आवास नहीं बन पा रहे हैं तो प्रशासन राशन सुकमा जिले के बड़े चटटी में उपलब्ध करवा दे। मुलेर से कुआकोंडा ब्लाॅक मुख्यालय की दूरी करीब 50 किलोमीटर है। वह भी सुकमा जिले के गादीरास से होकर जाना पड़ता है। इस मामले में जनपद सीईओ कुआकोंडा अमजद जाफरी ने बताया 2017-18 की स्वीकृति होगी, मैं पता करता हूं, आवास नहीं बन पाने का एक ही कारण है क्षेत्र का संवेदनशील होना। इसकी वजह से वहां काम नहीं हो पा रहा है।



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Due to Naxalite panic, road culverts and PM houses are not able to be built in Muller.


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