जंगल में शिकारी बिछा रहे करंट के तार, अफसरों काे पता नहीं, करंट से 10 लोग व 15 हाथी जान गंवा चुके https://ift.tt/2Q8j4wv

सरगुजा संभाग में जंगली जानवरों का शिकार बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। इसका खुलासा कई बार हुआ है, लेकिन जानवरों को मारने के लिए जंगल में बिछाए तरंगित तार से ही दो साल में ही 10 लोगों की जान जा चुकी है। जबकि 7 साल में 15 हाथियों को मारा गया है। इसके अलावा भालुओं और चीतल का भी शिकार हुआ है। इसके बाद भी अधिकारियों ने अब तक इसे रोकने ठोस पहल नहीं की है।
दैनिक भास्कर पड़ताल में पता चला है कि बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर, रघुनाथनगर, बसंतपुर और राजपुर इलाके में लंबे समय से जंगली जानवरों का शिकार किया जा रहा है। इसके लिए ग्रामीण उन स्थानों का चयन करते हैं जहां जंगल से होकर हाई टेंशन लाइन गुजरी है। वे इसी लाइन में हुकिंग से पहले जंगली जानवरों की आवाजाही वाले रास्तों में एक किलोमीटर तक तार बिछा देते हैं। इसके बाद उसे तरंगित तार से जोड़ देते हैं। इसी तरह जंगली सूअर, भालू, चीतल सहित दूसरे जानवरों का शिकार करते हैं। कई बार दूसरे ग्रामीण भी अनजाने में फंस जाते हैं। 2019 से अब तक 24 माह में इसी तरह की घटना में 10 ग्रामीणों की मौत हो चुकी है।
मैनपाट में हो रहा सबसे अधिक जानवरों का शिकार
जंगली सूअर और चीतल का शिकार सबसे अधिक मैनपाट के कडराज, सपनादर सहित पर्यटन स्थलों के आसपास हो रहा है। बताया जा रहा है कि इन शिकारियों को शहरी लोग जंगली जानवरों का मांस लेने के लिए बुकिंग करते हैं। इससे शिकारी प्रोत्साहित होते हैं। बता दें कि दो साल पहले जंगल में तार बिछाकर सात जानवरों का शिकार किया गया था। जिसमें भालू और कोटरी सहित अन्य जानवर शामिल थे।
मुरताडाड़ जंगल में करंट से 3 की जा चुकी है जान
30 जुलाई को मैनपाट के मुरताडाड़ में जंगली सूअर मारने के लिए बिछाए तार की चपेट में आने से बतौली के मंगादे निवासी कन्नीलाल की मौत हुई थी। इसी तरह नर्मदापुर के शिवमूरत यादव की मौत तब हुई थी। मैनपाट के ही पंडरीपानी निवासी बसंती बाई जब पति के साथ उडुमकेला ससुराल जा रही थी। तो तरंगित तार की चपेट में आने से जान चली गई थी।
सूअर मारने बिछाए तार की चपेट में आकर मौत
वाड्रफनगर इलाके के रजखेता निवासी रामप्रसाद साइकिल से दामाद के घर जा रहा था। इसी दौरान पगडंडी में उसकी साइकिल तरंगित तार की चपेट में आ गई। इससे उसकी जान चली गई। घटना की सूचना पर उसका भाई पहुंचा, लेकिन वह भी तरंगित तार की चपेट में आकर झुलस गया। इसी तरह बसंतपुर के शांतिपुर में यूपी के बभनी निवासी बहादुर गोड की करंट से मौत हो गई थी।
चीतल मारने बिछाए तार से युवक की हुई थी मौत
राजपुर इलाके के परसगुड़ी में एक होटलकर्मी की जंगली जानवरों के शिकार के लिए बिछाए गए तरंगित तार की चपेट में आने से जुलाई माह में मौत हो गई तो उसका दोस्त और प्रेमिका बाल-बाल बच गए। इस मामले में तरंगित तार बिछाने के आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। यहां करंट से नदी किनारे चीतल मारने के आरोपियों को पकड़ा गया था।
सीधी बात
एसएस कंवर, सीएफ, वाइल्ड लाइफ
सवाल - जंगली जानवरों का शिकार लगातार तरंगित तार से शिकारी कर रहे हैं, सख्त कार्रवाई नहीं हो रही, दो साल में 10 लोगों की जान भी चली गई?
-सभी डीएफओ को बिजली कम्पनी को पत्र लिखकर जवाब देने कहा गया है। बिजली कंपनी ने बिना परमिशन के हाई टेंशन लाइन जंगल मार्ग से ले गए हैं।
सवाल - दो साल में दस लोगों और 15 हाथियों की मौत का मामला सामने आ चुका है। कई जानवरों का तो शिकार के बाद पता भी नहीं चलता, जिनकी फारेस्ट के पास रिपोर्ट भी नहीं है।
-सही बोल रहे हैं, बड़े जानवरों के शिकार या इंसान के करंट की चपेट में आने पर ही पता चलता है। जब छोटे जानवर शिकार होते हैं तो उसका पता नहीं चलता।
सवाल - इसे रोकने के लिए क्या किया जाएगा ताकि शिकार रोका जा सके?
-तरंगित तार के लिए शिकारी हाई टेंशन से हुकिंग करते हैं, इसके बाद देर रात या सुबह लोग गलती से फंस जाते हैं और मौत होती है। बढ़ते हादसों को देखकर अब फारेस्ट कर्मियों को भी जंगल में जाने पर अलर्ट रहकर चलने कहा गया है साथ ही मुखबिर तंत्र मजबूत करेंगे।
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