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आंगनबाड़ी केंद्र खुले पर सभी कार्यकर्ताओं-सहायिकाओं की कोरोना जांच नहीं https://ift.tt/39ng4r6

बस्तर जिले में कोरोना मरीजों की संख्या अब तक 7000 के पार हो चुकी है। कोरोनाकाल में रोगियों की संख्या को कम करने के लिए लगातार उपाय किए जा रहे हैं। इस बीच जिले में कुपोषण को कम करने के लिए महिला बाल विकास विभाग अब जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को खोलते हुए बच्चों को गर्म भोजन खिला रहा है।
लेकिन मासूम बच्चों को कुपोषण से बचाने की जिम्मेदारी जिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को दी गई है। वे ही कोरोना पीड़ित हैं या नहीं। इनमें से 60 फीसदी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं की जांच ही अब तक नहीं कराई जा सकी हैं। जिसके चलते मासूमों के कोरोना पीड़ित होने की आशंका बढ़ गई है। ज्ञात हो कि पिछले 4 महीने से इन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाओं से गांव-घरों में कोरोना के मरीजों को ढूंढने के तहत किए जाने वाले सर्वे में जुटी हुई थी।
फिर भी इनकी कोरोना जांच कराए बगैर ही आंगनबाड़ी केंद्रों को खुलवाए गए हैं। जहां केंद्र खुल रहा है, वहां मास्क व सैनिटाइजर उपलब्ध नहीं कराए हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों में 3 से 6 साल उम्र के बच्चे आते हैं। उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने में भी दिक्कत हो रही है।

दबाव में काम करवाया जा रहा: जिलाध्यक्ष
राज्य सरकार ने सितंबर 2020 में आंगनबाड़ी खोलने के निर्देश दिए थे। लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं ने असहमति जताते हुए विभाग और पंचायत को असहमति पत्र सौंपा था। छग प्रदेश आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहाायिका संघ की जिलाध्यक्ष प्रेमबती नाग ने कहा कोरोनाकाल में छग सरकार ने 7 सितंबर से आंगनबाड़ी केंद्रों को खोलने आदेश दिए थे। बढ़ते संक्रमण को देखते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने केंद्रों को खोलने पर असहमति जताई थी। फिर भी दबाव बनाकर केंद्रों को खुलवाया जा रहा।

जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या 20 हजार
जानकारी के मुताबिक इस समय बस्तर जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या करीब 20 हजार है। पौष्टिक भोजन नहीं मिलने से बच्चे इस बीमारी की चपेट में न आएं इसलिए आंगनबाड़ी केंद्रों में इन बच्चों को दाल, चावल और सब्जी, रेडी टू ईट फूड और मूंगफली के लड्डू खाने के लिए दिए जा रहे हैं। गौरतलब है कि कुपोषित बच्चों में करीब 5210 बच्चे गंभीर कुपोषित हैं।

सीधी बात
शैल ठाकुर, जिला कार्यक्रम अधिकारी

सवाल - जिले के कितने आंगबनाड़ी केंद्रों में बच्चों को गर्म भोजन खिलाया जा रहा है?
-जगदलपुर ब्लॉक की शहरी परियोजना की 77 आंगनबाड़ी केंद्रों को छोड़कर 1904 केंद्रों में बच्चों को गर्म भोजन खिलाया जा रहा है ।
सवाल - क्या कारण है शहरी परियोजना को इस अभियान से अलग रखा गया है?
-शहरी क्षेत्र में कोराना के मरीज ज्यादा मिलने से यह अभियान शहर में बंद है ।
सवाल - अचानक आंगनबाड़ी केंद्रों में गर्म भोजन कराने की योजना क्यों शुरू की गई?
-कुपोषण कोरोना से ज्यादा भयावह है। कमजोर होने से बच्चे जल्द ही कोरोना की चपेट में आ सकते हैं। 20 हजार बच्चों को इस बीमारी से बाहर निकालना है।
सवाल - बच्चों को गर्म भोजन खिलाने में शामिल अधिकतर कार्यकर्ता व सहायिकाओं की कोरोना जांच नहीं हुई है?
-स्वास्थ्य विभाग को सभी कार्यकर्ता व सहायिकाओं की सूची सौंप दी गई है। विभागीय अधिकारी होने के नाते सभी को कोरोना की जांच कराने के लिए कहा है।



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Anganwadi center not open, corona investigation of all workers-helpers


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