वैलनेस सेंटर 6 महीने से बंद, बैगा से करवा रहे इलाज, महिला की मौत https://ift.tt/2Vcrqpi
कटेकल्याण ब्लॉक के टेटम गांव में हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर है, यह इकलौता सरकारी भवन इस गांव की शोभा जरूर बढ़ा रहा है, लेकिन विडंबना इस बात की है कि टेटम सहित इस पर निर्भर 5 गांवों के ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इलाके के बीमार ग्रामीण झाड़-फूंक के लिए बड्डे(बैगा) के पास जा रहे हैं। इसी चक्कर में हफ्तेभर से बीमार चल रहीं 35 साल की महिला कोपे मंडावी ने दम तोड़ दिया। भास्कर टीम जब इस गांव में पहुंची तो नक्सलगढ़ इस गांव में मातम पसरा हुआ था। मृत महिला का बेटा मिथलेश मंडावी स्वास्थ्य विभाग की इसी लचर व्यवस्था के बारे में बताते हुए फफक पड़ा।
मिथलेश ने बताया मां हफ्तेभर से बीमार थीं। टेटम के अस्पताल में डॉक्टर या स्टाफ होते तो इलाज करा सकते थे। बड्डे(बैगा) के पास झाड़-फूंक मजबूरी थी। मां ही नहीं गांव के और भी बीमार ग्रामीणों की बड्डे के पास जाकर झाड़-फूंक कराना मजबूरी है। कई सालों से यह समस्या है। भास्कर ने कलेक्टर दीपक सोनी को जब इसकी जानकारी दी तो उन्होंने कहा कि टेटम गांव के हेल्थ वैलनेस सेंटर में कर्मचारी क्यों नहीं जा रहे हैं। इस बारे में पता करता हूं। टेटम में कैंप खुला है अब हर सुविधा पहुंचेगी।
गांव में कोई खुजली तो कोई अन्य बीमारी से पीड़ित
गांव की एक महिला भास्कर टीम पास पहुंची और खुजली के कारण अपने पैरों में हुए घाव को दिखाने लगी। महिला ने कहा इलाज की सुविधा गांव में नहीं है। अस्पताल के सामने एकत्रित ग्रामीणों ने कहा कि गांव में खुजली सहित अन्य बीमारी से ग्रामीण ग्रसित हैं। अस्पताल में डॉक्टर और स्टाफ नहीं हैं। डॉक्टर व स्टाफ के नहीं रहने की जानकारी कई बार अधिकारियों को दे चुके हैं। इस अस्पताल पर टेटम, तेलम, जियाकोड़ता, एटेपाल, कोडरीरास के ग्रामीण निर्भर हैं। टेटम में कैंप खुलने के बाद अब गांव में आस जगी है। सरपंच महादेव ने बताया कि अस्पताल में स्टाफ नहीं रहते हैं।
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