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टीबी के इलाज में बेच दी जमीन तो किसी ने रख दी गिरवी, बकरियां और मवेशी तक बेचना पड़े फिर भी नहीं बची जिंदगी, 13 अब भी गंभीर https://ift.tt/2IWf96b

दिलीप जायसवाल | छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के औरंगा गांव में टीबी बीमारी का सही जांच और इलाज नहीं मिलने के कारण एक गांव में पीड़ितों को अपनी जमीन गिरवी रखनी पड़ी है तो कई परिवारों ने जीविकोपार्जन के लिए पाल कर रखी बकरियों व मवेशियों को भी बेच दिया। हालात अब ऐसी है कि इसके बाद भी सही इलाज नहीं मिलने से कुछ टीबी के मरीज जिंदगी और मौत से घर में ही जूझ रहे हैं। अब तक यहां टीबी से 13 लोगों की मौत हुई हैं। दैनिक भास्कर पड़ताल में खुलासा हुआ कि रामचंद्रपुर ब्लाॅक के औरंगा गांव में करीब डेढ़ सौ पंडो जनजाति परिवार के लोग रहते हैं। ये लोग 2010 से लगातार काम करने के लिए क्रेशरों में दूसरे राज्य जाते थे। क्रेशर से निकलने वाले डस्ट के कारण वे टीबी से पीड़ित होने लगे। उन्होंने सरकारी और निजी अस्पतालों में काफी खर्च कर इलाज कराया।

टीबी ने 13 महिलाओं को कर दिया विधवा
औरंगा गांव निवासी गुंजा पंडो और दामाद अकलू की मौत टीबी से हुई। इसके बाद अब उसके बेटे विनोद की हालत भी सही इलाज के अभाव में नाजुक है। पंडो समाज के मुखिया का कहना है कि मजदूरी के लिए गांव के लोग क्रेशरों में काम करने जाते थे। टीबी के कारण गांव की 13 महिलाएं विधवा हो चुकी हैं।

मरीजों ने निजी अस्पतालों का लिया सहारा, लेकिन अब भी जिंदगी और मौत से जूझ रहे
जमीन गिरवी रखना पड़ी

औरंगा निवासी हरावन पंडो की 4 साल पहले टीबी से मौत हुई। इलाज के लिए पहली बार जमीन 16 हजार में गिरवी रखी। इसके बाद वह पैसा खत्म हो गया तो बचा हुआ दूसरा प्लॉट पांच हजार में गिरवी रखा। बाद में खेती की 50 डिसमिल जमीन को 40 हजार में बेच दिया।

बकरियां बेचनी पड़ीं
औरंगा के ही विनय दुबे ने कई बार सरकारी अस्पताल अंबिकापुर में इलाज कराया। ठीक नहीं हुए तो निजी अस्पताल में गए। इसके लिए बकरियों को बेच दिए। इसके बाद अब कुछ लोगों से कर्ज लेकर इलाज करा रहे हैं। दवाई चल रही है। अब तक एक लाख से अधिक खर्च हो गया।

सरकारी दवा रही बेअसर
सुनील पंडो ने सरकारी दवा का कोर्स पूरा कर लिया। ठीक नहीं हाेने पर जमीन गिरवी रखकर निजी अस्पताल गए। इसी तरह गुंजा पंडो व अकलू पंडो ससुर और दामाद थे। दोनों की मौत हो गई। उन्होंने भी जमीन को गिरवी रख दिया था। अब गुंजा के बेटे विनोद पंडो की हालत नाजुक है।

गाय व बकरियां बेचनी पड़ी
इलाज के लिए गोपाल चौरसिया भी अपनी 20 बकरी व छह गाय तक बेच दिए। कई अस्पतालों में इलाज कराया लेकिन हालात में सुधार नहीं है। उनकी हालात नाजुक है। इन पर 30 हजार का कर्ज है। जमीन भी दस हजार में गिरवी है। टीबी से ही गोपाल के चाचा की मौत हो गई।

कलेक्टर ने इलाज के लिए दिए हैं निर्देश
"रामचंद्रपुर के औरंगा गांव में क्रेशर में काम करने की वजह से वहां के लोगों के लंग्स में बीमारी होने की जानकारी मिली है। कलेक्टर ने टीएल बैठक में सभी मरीजों का जांच कराकर इलाज कराने कहा है। इस पर सभी मरीजों का उचित जांच और इलाज कराया जाएगा।"
-डॉ. बसंत कुमार सिंह, सीएमएचओ, बलरामपुर



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