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कलेक्टर के फैसले को चुनौती दी तो बाल कल्याण समिति को खत्म करने की सिफारिश, फॉस्टर केयर के लिए अनुमति नहीं देने का मामला तूल पकड़ा https://ift.tt/3ltwuRq

कलेक्टर और जिला बाल कल्याण समिति के बीच टकराव अब शासन स्तर तक पहुंच गया है। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने बाल कल्याण समिति को निष्क्रिय और उद्देश्य से भटकी हुई बताकर महिला बाल विकास के संचालक को पत्र भेजकर इसे खत्म करने को कहा है। पत्र में लिखा है कि समिति न तो बाल हितैषी है और न विधि सम्मत। पत्र में अध्यक्ष डॉ. केके दीक्षित, सदस्य रणविजय सिंह कुशवाह, दिनेश शर्मा और किशनलाल हिंडोलिया को अपात्र करने की अनुशंसा की गई है। फॉस्टर केयर की अनुमति को लेकर समिति व कलेक्टर के बीच टकराव चल रहा था।

समिति को खत्म करने के लिए ये बताए आधार

  • अध्यक्ष व सदस्यों ने परिचय-पत्र व वाहन पर प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट न्यायपीठ लिखा था। इस संबंध में जब पत्र देकर स्पष्टीकरण चाहा तो उनके द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन वास्तविकता एवं तथ्यों से दूर था साथ ही उसकी भाषा अमर्यादित थी।
  • समिति में जुलाई से सितंबर तक 102 प्रकरण लंबित थे। इससे पहले तिमाही में ये संख्या 111 थी। समिति ने कोरोना के कारण लंबित प्रकरणों का निपटारा निर्देशों के बाद भी वीडियो कॉलिंग से नहीं किया।
  • फॉस्टर केयर के 3 प्रकरण अभी भी लंबित हैं। आवेदकों ने सभी प्रक्रियाएं पूर्ण कर ली, लेकिन समिति द्वारा उनके आवेदनों को लंबित रखा गया। इसमें सुनीता यादव, अरविंद दूदावत और विभा व कमल अनेजा का प्रकरण शामिल है। समिति ने फॉस्टर केयर, आफ्टर केयर, बाल विवाह संबंधी मामलों में निष्क्रियता दिखाई और विधि विरूद्ध निर्णय दिए।
  • लक्ष्मीगंज रोड स्थित एक बाल निकेतन में रह रही बच्ची के साथ यौन शोषण का प्रकरण 2019 में सामने आया। इस मामले में आरोपी के खिलाफ कार्रवाई में समिति ने देरी की। पीड़िता की वीडियाे रिकॉर्डिंग एवं अन्य गतिविधियां अमर्यादित व असंसदीय रहीं।


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If the decision of the Collector is challenged, the recommendation to abolish the Child Welfare Committee, the matter of not allowing for foster care caught up


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