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दिलेश्वर के पिता के श्राद्धकर्म में रिश्तेदारों का था जुटान उसी रात पड़ोस में रह रहे शंकर व बालिका की हुई हत्या https://ift.tt/2GQM3nB

शंकर व बालिका की हत्या में पुलिस ने सीआईएसएफ के स्क्वायड डॉग के जरिए सुराग पाने की कोशिश की। जासूसी कुत्ता जिस शंकर के रिश्तेदार विष्णु रवानी और दिलेश्वर रवानी के घरों पर में घुसा था, वे दोनों शंकर के बेटे कुणाल की हत्या में नामजद आरोपी हैं। शनिवार को दिलेश्वर के पिता का श्राद्धकर्म था।

इस दौरान वहां रिश्तेदारों का जमावड़ा था। पुलिस इस बिंदु पर पड़ताल कर रही है कि कहीं श्राद्धकर्म के दौरान ही हत्या की साजिश रचने के बाद उसी रात अमलीजामा पहनाने का खाका वहीं तो नहीं बनाया गया। 18 अगस्त 2017 काे धीरेन रवानी की हत्या के बाद भीड़ के हत्थे चढ़े शंकर के पुत्र कुणाल के कत्ल पर मां बालिका देवी ने दिलेश्वर रवानी, अजय रवानी, प्रकाश रवानी, वरुण रवानी, विष्णु रवानी और तारा रवानी पर हत्या का केस दर्ज कराया था।

हत्या के बाद से उक्त सभी लाेग फरार चल रहे थे। 26 जनवरी 2020 काे दिलेश्वर रवानी, अजय रवानी और प्रकाश रवानी काे जेल भेज दिया था। करीब तीन माह पूर्व ही तीनाें जेल से बाहर निकले थे। तीन आराेपी धीरेन के सगे वरुण रवानी और तारा रवानी व भतीजा विष्णु रवानी फरार हैं।

पूर्णिमा व रागिनी समेत झामुमो महासचिव विनोद पांडेय पहुंचे
घटना के बाद नेताओं का शंकर के आवास पर आना-जाना लगा रहा। पक्ष से लेकर विपक्ष तक हत्याराेपी की गिरफ्तारी और पीड़ित परिवार काे न्याय दिलाने की मांग की। झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने जहां जल्द से जल्द न्याय दिलाने की बात कहीं, वही भाजपा नेत्री रागिनी सिंह ने न्याय नहीं मिलने पर आंदाेलन की चेतावनी दी।

झामुमाे के राष्ट्रीय महासचिव विनाेद पांडेय शंकर रवानी के घर पहुंचे। परिजनाें से घटना की जानकारी ली। फिर कहा कि प्रशासन पर भराेसा है। जल्द ही हत्यारों की गिरफ्तारी हाेगी। माैके पर झामुमाे के जिलाध्यक्ष रमेश टूडृू, पवन महताे, जमसं के अभिषेक सिंह सहित भारी संख्या में स्थानीय एवं जिला स्तर के नेताओं का जमघट लगा रहा।

शंकर रवानी को जान पर खतरे का था आभास, पुलिस से मांगी थी सुरक्षा
शंकर के परिजनों ने बताया कि उन्हें जान की खतरा का भान पहले से था। कई बार शंकर ने संबंधित थाना और जिला प्रशासन काे जान की खतरा हाेने से अवगत कराया था। सुरक्षा नहीं मिली और अंतत उनकी हत्या हाे गई। शनिवार काे भी शंकर जाेरापाेखर थाना गए थे। हालांकि पुलिस का कहना है कि वे एक दूसरे मामले में वे जानकारी लेने थाना आए थे।

साथ पले-बढ़े शंकर व धीरेन, कारोबार भी साथ शुरू किया
गौरखूंटी में एक साथ पले-बढ़े शंकर व धीरेन रवानी ने कारोबार भी एक साथ ही शुरू किया था। 80 के दशक के अंत में दोनों भाइयों ने एक साथ लॉटरी के कारोबार में हाथ डाला। उस समय एकीकृत बिहार में लॉटरी पर प्रतिबंध नहीं था। दोनों भाइयों ने लॉटरी के जरिए अच्छी कमाई की।

इस कारोबार के अगुवा शंकर रवानी थे। बाद में दोनों भाइयों ने भौरा और सुदामडीह की सड़क से बाहर निकलने का फैसला किया। दोनों ने मिल नागमणि चिटफंड कंपनी बनाई। धनबाद में चिटफंड कंपनी की यह पहली दस्तक थी। सैकड़ों लोगों का इस कंपनी में निवेश कराया। जमकर मुनाफा भी कमाया। इसी बीच एक बड़ी रकम को लेकर दोनों भाइयों में विवाद ने दोनों की राहें जुदा कर दीं। धीरेन ने शंकर का साथ छोड़ दिया और अपनी नन बैंकिंग कंपनी खोली। नाम रखा-रेनबो।

इसी कंपनी ने इतनी बरकत पाई कि शंकर गुमनामी के अंधेरे में समाते चले गए, जबकि धीरेन तेजी से कारोबारी फलक में अपने नाम का विस्तार करते चले गए। धीरेन के साथ निवेशक जुड़ते गए और जल्द ही रेनबो करोड़ों की कंपनी बन गई। नागमणि से अलग होने के बाद धीरेन ने पुलिस को एक लिखित शिकायत दी थी, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि भाई शंकर उनसे रंगदारी मांग रहे हैं। नहीं देने पर जान से मारने की धमकी दे रहे हैं।



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In the Shraddhakaram of Dileeshwar's father, relatives were mobilized that same night, Shankar and the girl living in the neighborhood were murdered.


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