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20 साल में एक से बढ़कर 14 हुए काॅलेज, मेडिकल सीटें भी 100 से 1670 https://ift.tt/39fnnPM

पिछले 20 साल में प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या एक से बढ़कर 14 होने वाली है। एमबीबीएस की सीट भी 100 से बढ़कर 1670 पहुंच जाएगी। मेडिकल कॉलेज बढ़ने से प्रदेश के उन छात्रों को फायदा होगा, जो नीट की तैयारी कर डॉक्टर बनने का सपना देख रहे हैं। एमबीबीएस करने के लिए दूसरे राज्यों की ओर दौड़ भी कम होगी। सीएम भूपेश बघेल ने मंगलवार को जांजगीर में नए मेडिकल काॅलेज खोलने की घोषणा की है।
प्रदेश में इन दिनों छह सरकारी व तीन निजी मेडिकल कॉलेज चल रहे हैं। सरकारी में रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़, राजनांदगांव, जगदलपुर व अंबिकापुर तथा निजी कॉलेज एक रायपुर व दो दुर्ग में है। इस साल तीन सरकारी कांकेर, महासमुंद व कोरबा तथा निजी में रायपुर में बालाजी मेडिकल कॉलेज खुलने की संभावना है। चारों ही मेडिकल कॉलेजों के लिए प्रस्ताव भेज दिया गया है। सरकारी कॉलेजों में डीन की नियुक्ति के बाद फैकल्टी का नाम भी फाइनल किया जा रहा है। नए मेडिकल कॉलेजों में 18 प्रोफेसर की जरूरत होगी। नेहरू मेडिकल कॉलेज के अलावा बाकी कॉलेजों में फैकल्टी का प्रमोशन इसी महीने होगा। इसके बाद डॉक्टरों को नए कॉलेजों में भेजा जाएगा। ताकि वहां फैकल्टी की कमी न हो। इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी काम हो रहा है। ताकि मार्च-अप्रैल तक नए मेडिकल कॉलेजों को मान्यता मिल सके। सरकारी हाे या निजी कॉलेज, इससे स्थानीय छात्रों को एडमिशन में फायदा होगा।

कहां कितनी सीटें
कॉलेज कुल सीटें
नेहरू मेडिकल कॉलेज 180
सिम्स बिलासपुर 180
रायगढ़ 60 60
अंबिकापुर 100
राजनांदगांव 130
जगदलपुर 130
रिम्स 150
शंकराचार्य 150
चंदूलाल 150


निजी कॉलेजों की 600 सीटें
वर्तमान में 9 मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 1220 सीटें हैं। कांकेर, कोरबा व महासमुंद में 100-100 के हिसाब से 300 व बालाजी मेडिकल कॉलेज में 150 सीटों का प्रस्ताव भेजा गया है। अगले साल जांजगीर में नया कॉलेज शुरू होने पर 100 सीटों का प्रस्ताव भेजा जाएगा। इससे प्रदेश में एमबीबीएस की सीटें 1220 से बढ़कर 1670 पहुंच जाएगी। इसमें निजी कॉलेजों की 600 सीटें शामिल हैं। निजी कॉलेजों में भी स्टेट कोटे की यानी सरकारी सीटें होती हैं, जिसमें छग के मूल निवासियों को एडमिशन का मौका मिलता है।

प्रस्तावित नए कॉलेज
कांकेर 100
महासमुंद 100
बालाजी 150
कोरबा

100

बढ़ेगा कट आफ, मिलेगा फायदा
सीटों की संख्या बढ़ने से कट आफ बढ़ेगा। यानी मेरिट में कुछ कम नंबर लाने वालों को भी एमबीबीएस में एडमिशन लेने का मौका मिलेगा। यह सब नीट की मेरिट से सूची से होगा। पहले जब केवल रायपुर में मेडिकल कॉलेज होता तो कट आफ काफी ऊपर जाता था। तब प्रदेश के कम छात्रों को डॉक्टर बनने का मौका मिलता था। ऐसे में छात्र दूसरे राज्यों के मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन लेने चले जाते थे। वर्तमान में नीट में 454 स्काेर वालाें काे निजी काॅलेज में एडमिशन मिला है। आरक्षित वर्ग के छात्रों का कट आफ इससे नीचे गया है। इस साल सीटें बढ़ने पर कट आफ इससे नीचे जाएगा। 2000 में पीएमटी से एमबीबीएस में चयन हाेता था, तब कट आफ 80 फीसदी अंक तक जाता था, क्योंकि छात्र ज्यादा थे और सीटें महज 50।



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फाइल फोटो।


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