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नवंबर व दिसंबर में किसान तोड़ेंगे रक्ती बीज, दवाई बनाने के लिए इसकी विदेशों से डिमांड ज्यादा इसलिए 700 रुपए किलो में बेचेंगे https://ift.tt/2U9bfZE

जशपुर जिले के कोतबा क्षेत्र में एक अंजान बीज किसानों की अतिरिक्त आय का साधन बन गया है। जिले में गुंजा जिसे रक्ती बीज अब यह सबसे महंगे बीज के रूप में पहचान बनाते जा रहा है। बीज को लेकर चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। इस बीज को व्यापारी छह सौ से सात सौ रुपए किलो तक खरीदने को तैयार हैं। महंगे दामों में बिक रहे इस बीज का उपयोग लाइलाज बीमारी कैंसर सहित अन्य आयुर्वेद चिकित्सा में किया जाता है। साथ ही अन्य बीमारियों में भी यह वनस्पति रामबाण का काम करती है, लेकिन कृषि और उद्यानिकी विभाग के साथ जिले के बड़े किसान अब तक इस बहुमूल्य वनस्पति से अंजान बने हुए हैं। वैज्ञानिक तरीके से इसके उत्पादन से किसानों का आय का अतिरिक्त जरिया मिल सकता है। सबसे दुर्लभ वनस्पतियों में शामिल है।

महानगरों में भी इसकी मांग
गुंजा या रक्ती लता जाति की एक वनस्पति है, जिसकी शिम्बी के पक जाने पर लता शुष्क हो जाती है। गुंजा के फूल सेम की तरह होते हैं। शिम्बी का आकार बहुत छोटा होता है, परन्तु हर में 4-5 गुंजा बीज निकलते हैं या सफेद में सफेद तथा लाल में लाल बीज निकलते हैं। बिना देखभाल के खेतों के मेढ़ व जंगलों में कही भी पैदा होने वाली लता के बीज की मांग महानगरों सहित विदेशों में बढ़ती जा रही है। इसलिए 700 रुपए प्रति किलो की दर से बिक रहे हैं।

खेतों की मेड़ों व जंगल में सेंधवार पेड़ पर आश्रित लता
खेतों के मेड़ों में व जंगलों में सेंधवार के पेड़ पर आश्रित लता है। जंगली पौधे के तरह उगने वाले पौधे को जानवर भी नहीं खाते हैं। रक्ती या गूंज के फल देखने में सेम की तरह होते है। रक्ती के पौधे भी सेम के पौधे की तरह बेल पर लगते हैं। गुंजा को जिले के पत्थलगांव, फरसाबहार ब्लाक सहित गूंज के नाम से जाना जाता है। जिले में मुख्यतः पत्थलगांव व फरसाबहार ब्लाक में किया है। सबसे अधिक मात्रा में फरसाबहार ब्लाक के पंडरीपानी,तिलंगा, खूंटगांव और पत्थलगांव विकासखंड के बागबहार, मयूरनाचा, बागमाड़ा और गोढ़ी जैसे गांव में किया जा रहा है।

200 रुपए किलो बिकती हैं पत्तियां
औषधिय गुणों से भरपूर रक्ती के महत्व को इसी बात से समझा जा सकता है। इसके बीज के साथ पत्ते की मांग भी बाजार में बनी हुई है। इमली के पत्ते के समान छोटे-छोटे दिखने वाले रक्ती के पत्ते को 200 रुपए प्रति किलो की दर से खरीदा जा रहा है।

कैंसर की दवा में उपयोग
रक्ती के उपयोग के संबंध में ना तो उत्पादक किसानों को पता है और ना ही खरीदी करने वाले व्यापारियों को। कुछ लोगों ने बताया कि रक्ती या गूंज एक औषधीय बीज है। इसका उपयोग कैंसर जैसी बीमारी के इलाज में उपयोग होता है। आयुर्वेदिक तरीके से बनने वाले कैंसर की दवाइयों में रक्ती का उपयोग किया जाता है। जानकारों के मुताबिक कैंसर के अलावा भी कई अन्य बीमारियों के इलाज में रक्ती का उपयोग किया जाता है।

दिसंबर में सबसे अधिक व्यवसाय
नवंबर व दिसंबर में बीज निकलते हैं और यही समय होता है, जब संकलनकर्ता इस बीज से आय अर्जित करते हैं। बड़े व्यापारियों को जब बीज के कीमत की जानकारी मिल रही है तो कई व्यापारी इस व्यवसाय में खुद को जोड़ने में लगे हैं । कोतबा, फरसाबहार ब्लाक, पत्थलगांव ब्लाक में व्यापारी ग्रामीणों को एडवांस के रूप में भी पैसे दे रहे हैं, जिससे संग्रहण उनको मिले। पंड्रीपानी क्षेत्र की स्थिति यह है कि किसान बीज को लगाने भी लगे हैं।



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In November and December, the farmers will break the rakti seeds, demand for making medicine from it will be sold more than 700 rupees for a kilo.


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