अब 19 एकड़ का होगा ऑक्सीजोन, छह हजार से ज्यादा पौधे, गपशप के लिए 7 बैंबू हट और तालाब भी https://ift.tt/3q6ehMH
हरियाली और शुद्ध हवा के लिए मशहूर ऑक्सीजोन का दायरा अब 13 से बढ़कर 19 एकड़ हो गया है। शहर के बीचों-बीच कलेक्ट्रेट परिसर के पीछे छह एकड़ में ऑक्सीजोन फेज-2 डेवलप किया गया है। 13 करोड़ रुपए की लागत से बनाए गए नए जोन में 600 मीटर लंबा पाथवे बनाया गया है। रायपुरियंस यहां बैठकर सुकून से मन की बातें कर सकें, गपशप कर सकें, इसे ध्यान में रखकर यहां सात बैंबू हट यानी बांस की झोपड़ी भी बनाई गई हैं। हर हट में चार बेंच रखी गई हैं, जिस पर 8 लोग आसानी से बैठ सकते हैं। वन विकास निगम के एमडी पीसी पांडे ने बताया कि ग्रीनरी और खूबसूरती बढ़ाने के मकसद से यहां 60 वैरायटी के 6 हजार से ज्यादा पेड़-पौधे लगाए गए हैं। इसमें ऑक्सीजन ज्यादा देने वाले पौधे खासतौर पर शामिल हैं। यहां चार ओपन लॉन भी बनाए गए हैं, जहां योगा, जाॅगिंग सहित कई तरह की एक्टविटीज की जा सकती हैं। कैंपस में छोटा तालाब भी है। दोनों ऑक्सीजोन सुबह 6 से 9 और शाम को 4 से रात 8 बजे तक ओपन रहते हैं। यहां एंट्री फ्री है।
- पुराने और नए जोन को मिलाकर ऑक्सीजोन कुल 19 एकड़ में फैला है।
- दोनों जोन में 60 वैराइटी के 18 हजार 383 पाेधे लगाए गए हैं। इसमें चंदन के पौधे भी शामिल हैं।
- यहां बच्चों के लिए 7 वैराइटी के झूले हैं।
- हर उम्र के लोगों के लिए ओपन जिम है।
- वीआईपी गेस्ट के लिए यहां बांस की कुटीर बनाई गई है।
तीन रास्तों से पहुंच सकते हैं ऑक्सीजोन। कलेक्ट्रेट के पीछे वाली रोड पर मेन एंट्रेंस गेट।
- गौरवपथ से लगा हुआ गेट।
- ऑक्सीजोन जाने राजातालाब की तरफ बनाई गई नई रोड।
- ऑक्सीजोन फेज-2 में बनाया गया तालाब। ये पाथवे से जुड़ा है।
अब यहां दो तालाब
ऑक्सीजोन के दोनों फेज में एक-एक तालाब है। दोनों तालाबों का कुल एरिया 182 रनिंग मीटर है। फेस 1 में बने तालाब में लाइटिंग और सिटिंग अरेंजमेंट हैं, लेकिन फेज 2 के तालाब में लाइटिंग और सिटिंग अरेंजमेंट अभी बाकी है। हालांकि, पाथवे के किनारे जलने वाली लाइट्स से ये तालाब भी रोशन नजर आता है।
दीवार पर उकेरा बस्तर आर्ट और राज्य का कल्चर, पेड़ों पर की पेंटिंग
लोगों को आदिवासी कल्चर से रूबरू कराने के मकसद से ऑक्सीजोन की दीवारों पर बस्तर आर्ट बनाया गया है। आदिवासियों के लोकप्रिय वाद्ययंत्र, रहन-सहन और त्यौहारों की झलक दीवार पर देखी जा सकती है। वन विकास निगम के रीजनल मैनजर सुहास कुमार पांडे ने बताया कि कैंपस के 70 पुराने पेड़ों पर कलर करके उन्हें अट्रैक्टिव लुक देने की कोशिश की गई है। विजिटर्स की नॉलेज बढ़ाने यहां पौधों से जुड़ी दिलचस्प जानकारियां लिखी गई हैं।
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