इस बार धनतेरस के दिन ही शाम 6 बजे से नरक चतुर्दशी https://ift.tt/34ZmcD2
इस साल धनतेरस से लेकर दीवाली तक तिथियों को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। दरअसल इस साल दीवाली जहां 14 नवंबर को पड़ रही है, वहीं धनतेरस इससे ठीक एक दिन पहले यानी 13 नवंबर को मनाया जाएगा। जबकि दीवाली का पर्व धनतेरस से लेकर भाई दूज तक 5 दिनों का त्योहार होता है, लेकिन इस साल ये पर्व 4 दिनों में ही सिमट जाएगा। इन हालातों में धनतेरस और नरक चतुर्दशी को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति बन रही है।
बताया जाता है कि इस साल 13 नवंबर को ही धनतेरस और नरक चतुर्दशी दोनों ही पड़ रहा है। ऐसे में एक ही दिन दोनों ही दिनों की पूजा करनी होगी। हालांकि इसके लिए समय अलग-अलग दिया हुआ है, जिसमें विशेष योग बताए जा रहे हैं। इधर शनिवार को पुष्य नक्षत्र को है, जो शुभ माना जाता है। साथ ही त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है।
14 को अमावस्या, इसलिए दीवाली भी इसी दिन मनाई जाएगी: पं. बाजपेई ने बताया कि चूंकि 14 नवंबर को ही अमावस्या है, ऐसे में दिवाली भी इसी दिन होगी। उन्होंने बताया कि प्रदोष काल में लक्ष्मी-कुबेर की पूजा होगी। काली पूजन का मुहूर्त निशिथ काल में रात 11.17 बजे से 12.00 बजे तक होगा।
इस साल दीवाली पर पूजन के ये रहेंगे मुहूर्त
- शुभ मुहुर्त: सुबह 7.30 बजे से 9.00 बजे तक
- अमृत मुहुर: दोपहर 1.30 बजे से 4.30 बजे तक्त
- प्रदोष काल: शाम 4.30 बजे से 6.10 बजे तक
13 को शाम 5.59 बजे तक त्रयोदशी
शहर के ज्योतिषाचार्य पं. रामरजनीश बाजपेई ने बताया कि 13 नवंबर की शाम 5.59 बजे तक त्रयोदशी का मुहूर्त होगा, जिसके कारण इस दिन धनतेरस होगा। त्रयोदशी का व्रत 5.59 बजे तक ही किया जाना चाहिए। इसके बाद शाम 6.00 बजे से चतुर्दशी शुरू हो जाएगी। चतुर्दशी की तिथि 14 नवंबर यानि दीवाली के दिन दोपहर 2.17 बजे तक रहेगी। ऐसे में नरक चतुर्दशी या रूप चौदस का व्रत भी इसी समय तक रखा जा सकेगा। इसके बाद दीवाली की तिथि शुरू होने से दिवाली का पूजन हो सकेगा।
रविवार को रवि पुष्य अमृत योग
इधर शनिवार 7 नवंबर को पुष्य नक्षत्र होगा। सुबह 8.04 मिनट से लेकर 8 नवंबर को सुबह 8.44 बजे तक पुष्य नक्षत्र लगा रहेगा। रविवार को रवि पुष्य अमृत योग होगा।
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